हर सुबह एक नया मुसीबत नजर आता है जिन्दगी की राहों में खराब हालत नजर आता है मुश्किलें कम होने की नाम नहीं ले रही है हर रोज मुल्क में नया दास्तान नजर आता है बात बस यही है इंसान खुदा को भूल गया है गुरुर बहुत है बुरा हालतें मंजर नजर आता है अपनी गलती का एहसास होता नहीं है शायद हालत बद से बद्तर होता दिखता नजर आता है अच्छा काम नहीं कर सकते तो अच्छा बोलों मुल्क की हालत देखकर मुझे डर नजर आता है दास्तानों में भी नाम नहीं लिया जायेगा आरिफ ये कैसा फैलता रोग चारों ओर मगर नजर आता है हर सुबह एक नया मुसीबत नजर आता है जिन्दगी की राहों में खराब हालत नजर आता है मुश्किलें कम होने की नाम नहीं ले रही है हर रोज मुल्क में नया दास्तान नजर आता है बात बस यही है इंसान खुदा को भूल गया है गुरुर बहुत है बुरा हालतें मंजर नजर आता है