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मरहम बन घाव अनेक भर देती है.. तुम्हारी बेरूखियों क

मरहम बन घाव अनेक भर देती है..
तुम्हारी बेरूखियों का आदी बना 
जीना मेरा कुछ आसान ज़रूर कर देती है..
धार आसुंओ की गालों पर निशा बना सुख गए
होठ भी चुम्बन को तुम्हारे लबों को तरस शुष्क हो गए..
पर तुम्हारे द्वारा दिया गुलाब मुरझा कर भी किताबों बीच रह कर तुम्हारी याद दिला जाता है..
वरना बिछुड़ों को कहां कोई ताउम्र याद रख पाता है... ♥️ Challenge-918 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
मरहम बन घाव अनेक भर देती है..
तुम्हारी बेरूखियों का आदी बना 
जीना मेरा कुछ आसान ज़रूर कर देती है..
धार आसुंओ की गालों पर निशा बना सुख गए
होठ भी चुम्बन को तुम्हारे लबों को तरस शुष्क हो गए..
पर तुम्हारे द्वारा दिया गुलाब मुरझा कर भी किताबों बीच रह कर तुम्हारी याद दिला जाता है..
वरना बिछुड़ों को कहां कोई ताउम्र याद रख पाता है... ♥️ Challenge-918 #collabwithकोराकाग़ज़

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