Alone “संघर्ष” आलस का आँचल छोड़,परिश्रम की प्यास बुझानी हैं। निरंतरता की नींव पर, अब लिखनी एक कहानी हैं।। चला दे अब सामर्थ्य को, जो मेहनत का हथौड़ा हैं। तेरे जैसे कर्मवीरों ने ही , रुख हवाओ का मोड़ा हैं।। कर्म के कठिन पथ पर, सफर दृढ़ता से करना हैं। आज के अश्वमेघ से, कल का कमण्डल भरना हैं।। गिरकर भी फिर से उठना,उम्मीदों का अम्बर शेष हैं। छोड़ फिक्र फटकार की,लक्ष्य की ललक विशेष हैं।। जिज्ञासा की ज्वाला को, अनवरत अक्षुण्ण रखना हैं। संकल्प की पराकाष्ठा पर, अब खुद को परखना हैं।। परिश्रम के पुरुषार्थ से, संशय का संहार करना हैं। कर्म के कुरुक्षेत्र में, असफलताओं से लड़ना हैं।। इंतज़ार की असवारी करके, अवसरों पर लड़ना हैं। विजय के जयघोष से, भक्ति का भारत लिखना हैं।। “संघर्ष” आलस का आँचल छोड़,परिश्रम की प्यास बुझानी हैं। #alone #संघर्ष #Struggle #apvani #एपीवाणी #मेहनत #hardwork