जब नज़रें झुकी तेरा दीदार कर गई होश मुझे कहाँ कैसे प्यार कर गई राते गुजरने लगी आंखों ही आंखों में होश कहां मुझे कैसे बेकरार कर गई अपने चेहरे में तेरा अक्स ढूंढने लगी होश कहां मुझे कैसे इजहार कर गई मौसम था सुहाना खुमार चढ़ गई होश कहां मुझे कैसे जाँनिसार कर गई चला दिल पे चला कटार बेजार हो गई होश कहां मुझे कब इश्क़ बेशुमार कर गई ।। ♥️ Challenge-617 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।