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( जीवन संगिनी ) मैं हमेशा ही खुद को मुकम्मल समझता

( जीवन संगिनी )

मैं हमेशा ही खुद को मुकम्मल समझता
रहा ,
जो बनाया था एक मकान उसको ही घर
समझता रहा !
👇👇👇
READ IN CAPTION  #NojotoQuote जीवन संगिनी 
मैं हमेशा ही खुद को मुकम्मल समझता
रहा ,
जो बनाया था एक मकान उसको ही घर
समझता रहा !
जी रहा था मैं अब तक अपनी ही मस्ती
में ,
अन्धेरों में भ्रम था की हूँ मैं रोशनी की
( जीवन संगिनी )

मैं हमेशा ही खुद को मुकम्मल समझता
रहा ,
जो बनाया था एक मकान उसको ही घर
समझता रहा !
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मैं हमेशा ही खुद को मुकम्मल समझता
रहा ,
जो बनाया था एक मकान उसको ही घर
समझता रहा !
जी रहा था मैं अब तक अपनी ही मस्ती
में ,
अन्धेरों में भ्रम था की हूँ मैं रोशनी की