मेरे भारत के दो रतन एक हलदर के वीर जय किसान, दूजा सेना का वीर जय जवान, दोनों माँ भारती के लाल दोनों ने बचाया हे माँ! तेरा आँचल का मान व स्वाभिमान, हे अन्नदाता तूने श्वेद बहा इस धरती को सींचा है, हे वीर तूने वक्त पर लगा दी जान, समस्त युग तुम्हारी करते तुम पर अभिमान,चाहे अतीत, भविष्य हो या वर्तमान, आज जो मना रहे हम आजादी का ये जश्न है,तेरे सजदे यह हृदय करता यशोगान, कण कण को सोना बनाया भूखे का पेट भरा, कर छाती छोड़ी सरहद पर खड़ा जवान। प्रतियोगिता का अंतिम चरण। (२ अक्टूबर प्रतियोगिता) विषय - दो लेखकों को मिलकर पूरा करना है। 🔹पंक्ति बाध्यता नहीं है, लेकिन पृष्ठभूमि पर ही लिखेंगे। समय सीमा 2.00 AM 3rd October 2020 (तीनों चरण के लिए।)