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बोझ से एक दिन थक कर पूरा ईंट भी एक दिन ईंट से बोली

बोझ से एक दिन थक कर पूरा
ईंट भी एक दिन ईंट से बोली
सारा दिन मैं भार उठाती 
इमारत मेरे बिन गिर जाती

फिर क्यों मुझे इनाम ना मिलता
दो वक्त आराम ना मिलता
मुझको कोई सम्मान ना मिलता
मेहनत का परिणाम ना मिलता

सुनकर उसके वचन अनोखे
नीचे वाली ईंट भी बोली
तुझ से ज्यादा मेहनत करती
तुझ से ज्यादा वजन को रखती

मुझको भी आराम न मिलता
मेहनत का इनाम ना मिलता
सारी ईंटें बोल पड़ी फिर
अपने हक़ को मांग रही फिर

सुनकर सबको एक ही सुर में
नीव कि निचली ईंट भी बोली
सबसे ज्यादा भार मुझ ही पर
सबसे भारी काम मुझ ही पर

इनाम कि अच्छी हकदार हूं मैं तो
फिर यू बेकार हूं मैं तो
सुनकर उनकी घमंड कि बातें
मिट्टी ने फिर शब्द निकले

बोली तुम क्या चीज़ ही यू तो
तुम जैसी हजार है मुझ पर
तुम काहे का इनाम हो चाहती
ये सब तो कर्तव्य है तुम पर

इंसान भी हर पल यही सोचता
ईंट कि भांति इनाम को खोजता
ज़िन्दगी में कही तुम्हरी कोई मोड़ ना आ जाए
चलो संभल कर कही ज़िन्दगी में कोई भूकंप ना आ जाए #proud #expectation #duty #nojoto #bricks #stress #motivation #moral 

बोझ से एक दिन थक कर पूरा
ईंट भी एक दिन ईंट से बोली
सारा दिन मैं भार उठाती 
इमारत मेरे बिन गिर जाती

फिर क्यों मुझे इनाम ना मिलता
बोझ से एक दिन थक कर पूरा
ईंट भी एक दिन ईंट से बोली
सारा दिन मैं भार उठाती 
इमारत मेरे बिन गिर जाती

फिर क्यों मुझे इनाम ना मिलता
दो वक्त आराम ना मिलता
मुझको कोई सम्मान ना मिलता
मेहनत का परिणाम ना मिलता

सुनकर उसके वचन अनोखे
नीचे वाली ईंट भी बोली
तुझ से ज्यादा मेहनत करती
तुझ से ज्यादा वजन को रखती

मुझको भी आराम न मिलता
मेहनत का इनाम ना मिलता
सारी ईंटें बोल पड़ी फिर
अपने हक़ को मांग रही फिर

सुनकर सबको एक ही सुर में
नीव कि निचली ईंट भी बोली
सबसे ज्यादा भार मुझ ही पर
सबसे भारी काम मुझ ही पर

इनाम कि अच्छी हकदार हूं मैं तो
फिर यू बेकार हूं मैं तो
सुनकर उनकी घमंड कि बातें
मिट्टी ने फिर शब्द निकले

बोली तुम क्या चीज़ ही यू तो
तुम जैसी हजार है मुझ पर
तुम काहे का इनाम हो चाहती
ये सब तो कर्तव्य है तुम पर

इंसान भी हर पल यही सोचता
ईंट कि भांति इनाम को खोजता
ज़िन्दगी में कही तुम्हरी कोई मोड़ ना आ जाए
चलो संभल कर कही ज़िन्दगी में कोई भूकंप ना आ जाए #proud #expectation #duty #nojoto #bricks #stress #motivation #moral 

बोझ से एक दिन थक कर पूरा
ईंट भी एक दिन ईंट से बोली
सारा दिन मैं भार उठाती 
इमारत मेरे बिन गिर जाती

फिर क्यों मुझे इनाम ना मिलता