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ज़िन्दगी की भी अजीव सी ख्वाईश थी साहेब,कि पता ही नह

ज़िन्दगी की भी अजीव सी ख्वाईश थी साहेब,कि पता ही नही चला कि कब अपने-आप की खोज में,अपनों को ही खोते चले गए......


Mg Yadav jingi ki yaden
ज़िन्दगी की भी अजीव सी ख्वाईश थी साहेब,कि पता ही नही चला कि कब अपने-आप की खोज में,अपनों को ही खोते चले गए......


Mg Yadav jingi ki yaden