White सावन आया मेघा बरसे मौसम सुहावना हुआ। इस मौसम में भी उनका हमारे यहां आना ना हुआ। भंवरों ने गीत गाए कलियों का मुस्कुराना हुआ। हमारा गाया हुआ मल्हार उनके लिए है बेमाना हुआ। सुहागिन हुई धरा नए अंकुरों का भी आना हुआ। खिल गया वो फूल भी जो पतझड़ में था वीराना हुआ। मेघों की आमद से है मोरों का भी नाच गाना हुआ। इस मन संग भी कोई नाच ले यह भी है मस्ताना हुआ। इस सावन में हर जीव कुदरत का है दीवाना हुआ। हमारे लिए तो यह सावन भी विरह का पैमाना हुआ। इस सावन में हमारी विरह का रूप भी निराला हुआ। उसके नयनों से भरा जाम हमारा खाली प्याला हुआ। उसको बेवफा कहना यह तो खुद को ही रुलाना हुआ। मालूम नहीं वो हमें छोड़कर और किसका है दीवाना हुआ। ©"SILENT" #Hindi pantiya# metaphysical poetry I_surbhiladha