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दुर्भाग्य का मारा हुआ व्यक्ति शत्रु को मित्र और मि

दुर्भाग्य का मारा हुआ व्यक्ति शत्रु को मित्र और मित्र को शत्रु बना लेता है तथा उसे हानि पहुंचाता हैं।
वह बुराई को भलाई और पुण्य को पाप समझने लगता हैं।                                                                           तात्पर्य ये कि यदि मित्रों से शत्रुता हो जाती है तो समझना चाहिए कि हमसे कहीं त्रुटि हुई हैं।

©Vikash Kumar #thi

#thinkingnojotolove
दुर्भाग्य का मारा हुआ व्यक्ति शत्रु को मित्र और मित्र को शत्रु बना लेता है तथा उसे हानि पहुंचाता हैं।
वह बुराई को भलाई और पुण्य को पाप समझने लगता हैं।                                                                           तात्पर्य ये कि यदि मित्रों से शत्रुता हो जाती है तो समझना चाहिए कि हमसे कहीं त्रुटि हुई हैं।

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