मैं छोड़ नश्वरता तुझसे मिलन को आऊँगी बाहें फैलाना मेरे लिए मैं तुझ में समा जाऊँगी मैं बरसों से प्रतीक्षारत हूँ सदियों से भाग रही अनवरत हूँ विवशताएँ औ' बंधन सारे सब से मुक्त होना है ऐ मेरी सखी मुझे तुझ में ही लुप्त होना है मैं सज कर तेरे द्वारे आऊँगी मिलन इच्छा शेष थी जो वह पूर्ण कर जाऊँगी मिलन के अश्रु फूट पड़ेंगे सूखे चक्षुओं में झरने बहेंगे अनंत शांति होगी व्याप्त इस पवित्र घाट पर होगा मुझको भी मोक्ष प्राप्त आदि,अनादि ज्योत जो तेरी है उसमें मेरा भी योगदान होगा मणिकर्णिका तेरा-मेरा भी एक दिन मिलन होगा। मणिकर्णिका एक ख़्वाब,,,, the place where life ends last destination #रात्रिख्याल #अनाम #अनाम_ख़्याल #मणिकर्णिका_घाट #बनारस #मिलन #स्वप्न #mynightthoughts