इस महामारी में जी, दीन हीन निर्धन की। करुण रस का कवि, मैं वेदना सुनाता हूंँ। कोरॉना से नहीं यहांँ, भूख से गरीब मरा। राष्ट्र की सच्चाई यहांँ, तुमको बताता हूंँ। पूरे परिवार भूखे, आत्महत्या कर लिए। सुनकर रोया खूब, सो भी नहीं पाता हूंँ। पैसों के लिए कितने, हुए धनी पाज़िटिव, पॉजिटिव गरीब को, भूल नहीं पाता हूंँ। जिसे भगवान माना, वही काल हुआ यहांँ। स्वार्थ डाक्टरों का जी, तुमको सुनाता हूंँ। किडनी व आंँख, गुर्दा, दाम लिए बेंच दिए। गरीब की दशा लिख, सबको सुनाता हूंँ। #yopodimo में आज कोरोना आधारित एक कविता लिखें। कोरोना से उपजी विभिन्न मनः स्थितियों और सामाजिक स्थितियों का विवरण पेश करते हुए एक कविता रचें। #कोरोनाकविता #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #hkkhindipoetry #मौर्यवंशी_मनीष_मन