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उम्मीदें पिछले साल हमारे गाँव, बादल बरसना भूल गए

उम्मीदें   पिछले साल हमारे गाँव, बादल बरसना भूल गए थे, 
 हमने जो बोये थे मोती, कौए सारे चुग गए थे। 
नई बात नहीं  किसानोंके लिए,  हर साल ऐसा होता हैं, 
फिर भी बंजर जमीन में,वो ख्वाबों के मोती बोता हैं। 
एक आस लिए सीने में, धरती को पूजा करते हैं, 
रूठी हुई माँ को हर रोज मनाते रहते हैं। 
हमारी लगन देखकर, बादल एक दिन फुट पड़ेंगे, 
कबतक देखेंगे तरसी धरती, एक दिन प्यार के अंकुर उगेंगे
इसी उम्मीद से मै हर साल बीज बोता हुँ, 
मरनेका सवाल ही नहीं, उम्मीद पे जिंदा रहता हूँ। 
एक दिन बंजर जमी भी श्रम के आगे पिघलेगी,  
चारो तरफ देखना, हरियाली ही हरियाली खिलेगी। 
भूख से बड़ी कोई समस्या नहीं, 
किसान की उम्मीद से बढ़कर कोई उम्मीद नहीं।

©Madhubala Jain Rathod उम्मीद क्या होती हैं, किसानोंसे पूछो
#Nojoto #nojotohindi #Poetry #best #trdnding #poetryunpluged
#Madhujain 

#ExpectationFromLife
उम्मीदें   पिछले साल हमारे गाँव, बादल बरसना भूल गए थे, 
 हमने जो बोये थे मोती, कौए सारे चुग गए थे। 
नई बात नहीं  किसानोंके लिए,  हर साल ऐसा होता हैं, 
फिर भी बंजर जमीन में,वो ख्वाबों के मोती बोता हैं। 
एक आस लिए सीने में, धरती को पूजा करते हैं, 
रूठी हुई माँ को हर रोज मनाते रहते हैं। 
हमारी लगन देखकर, बादल एक दिन फुट पड़ेंगे, 
कबतक देखेंगे तरसी धरती, एक दिन प्यार के अंकुर उगेंगे
इसी उम्मीद से मै हर साल बीज बोता हुँ, 
मरनेका सवाल ही नहीं, उम्मीद पे जिंदा रहता हूँ। 
एक दिन बंजर जमी भी श्रम के आगे पिघलेगी,  
चारो तरफ देखना, हरियाली ही हरियाली खिलेगी। 
भूख से बड़ी कोई समस्या नहीं, 
किसान की उम्मीद से बढ़कर कोई उम्मीद नहीं।

©Madhubala Jain Rathod उम्मीद क्या होती हैं, किसानोंसे पूछो
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