सोचती हूं कभी....... कि.... क्यों न तुझपे.. कोई किताब लिखूं... हर पन्ने पर मैं बेहिसाब ज़ज्बात लिखूं..... कोई लफ्ज़ अधूरा ना रह पाए..... कुछ यूं.... लफ्जों का अज़ाब लिखूं..... हर हरक़त में तेरी शैतानी... .. कुछ बेईमानी और नादानी भी.... किसी तरकश- सी तंजकशी तेरी.... ... हर ऐब तेरा और ख़ूबी भी.... किसी आयत- सा.. तुझे याद लिखूं... हर लफ्ज़ मैं यूं तराश लिखूं.... हर लहजे से परखा तुझको.... लफ्ज़ भी क्या क़ाबिल हो पाए.... कुछ ऐसी मैं पाक़ ज़बां लिखूं.... इस जहां मैं बस... तेरी हूं... ... तू हर रोज़ नया-सा मिलता है... किसी मौसम की बहार-सा है... हर रंग - रूप में ढलता है... तुझे शायर का मैं... कोई ख़्वाब लिखूं.. .... सोचूँ..... आख़िर...क्या मैं तेरा नाम लिखूं... आ.. .. तुझ पर इक किताब लिखूं..। ©Sonam Verma #Books#journeyoflife#girlythoughts#memories#innerfight#lovetowrite❤️