*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“22/1/2022”*📚 🖋️ *“शनिवार”* 🌟 एक बार एक “गुरू” अपने “शिष्यों” की “परीक्षा” ले रहे थे, उन्होंने हर एक “शिष्य” को एक-एक “पक्षी” दिया और उनसे कहा कि इनकी “बलि” चढ़ानी है, किंतु ऐसे “स्थान” पर जहां उन्हें कोई “देख” न पाए, सभी “शिष्य” अपने अपने मार्ग पर “निकल” गये, कोई “घने वन” के अंदर चला गया, कोई “गहरे अंधकार” के भीतर चला गया और कोई दूर कही “पर्वतों” में चला गया, जैसे ही उन्हें कोई देखने नहीं आता उन्होंने “बलि चढ़ाना” प्रारंभ किया तभी वो “पक्षी” “प्रकाश में परिवर्तित” हुए और लुप्त हो गये, एक शिष्य था जो पुनः “गुरु” के पास लौट गया और कहा कि “क्षमा करना गुरूदेव”,“ऐसा कोई श्रेष्ठ स्थान” मिला ही नहीं जहां कोई न “देख” रहा हो किंतु मैं तो “स्वयं” देख रहा था,मेरा “मन” देख पा रहा था, उस “शिष्य” ने समझा कि “परमात्मा की दृष्टि” सदैव उस पर बनी हुई है, और इसलिए वो कभी अनुचित “कर्म” नहीं कर सकता,और इसलिए वो ही “शिष्य” परीक्षा में सफल हुआ, इसलिए कोई भी “अनुचित कर्म” करने से पहले सोचिए अवश्य, “परमात्मा की नजर” सब पर है *अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“22/1/2022”*📚 🖋️ *“शनिवार”* 🌟 *#“गुरू”* *#“शिष्यों की परीक्षा”*