हे मधुसूदन, माता गांधारी को कैसे निराश करूँ मैं, बाण चलाकर उनके गर्भ का कैसे विनाश करूँ मैं | हस्तिनापुर, इंद्रप्रस्थ पाने के लिए वार करूँ मैं, या अपने फैसले पर, हे माधव, धिक्कार करूँ मैं || 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 उनपे शस्त्र कैसे चलाऊँ मैं, हे देवकीनंदन, हे गिरधारी, जो मेरे अपने है वंदन के अधिकारी | अर्जुन के वचन सुन हरि मुस्कुराये, गीता के उपदेश फिर पार्थ ने पाए || 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 गुरु, सखा, परिजन की वंदना करना हम सबका कर्म हैं, पर सत्य और न्याय के लिए लड़ना एक क्षत्रिय का धर्म हैं | मत भूलो, कौरवो ने छल से तुम्हारी सत्ता पायी थी, मत भूलो, इन्होने ही लाक्षागृह की नीति बनायीं थी || tbc in my next post #Bhagwad_Geeta #dharmyudh #Krishna