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गर हम रोशनी के तलबगार होते, तो कहते कि हमको इनायत

गर हम रोशनी के तलबगार होते,
तो कहते कि हमको इनायत चाहिए।
खुदा ने भेज दिया उसको मेरे पास,
मैंने कहा था कि मुझे जन्नत चाहिए।।

©आशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी"
  आरजू-ए-जन्नत🥺

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