तना तनी आपस मे ऐसी, सब तन गया। दूर तक चलकर न जाने कहाँ मन गया।। ऊपर आसमा नीचे धरती बीच खड़े रह गए, देखते-देखते सामने अचानक सब जम गया।। ये जद्दोजहद क्यों खींचातानी होती रहती, भागादौड़ी आपाधापी में, सब जन गया।। दर्द पे दर्द मिले घाव कई बनकर मिटते गए, टीस बची रह गयी दिल मे जो था ग़म गया।। शुरुआत हुई सफर की जिन बातों से उन, बातों का न जाने कब सिलसिला थम गया।। ©ALOK Sharma...✍️ तना तनी आपस मे ऐसी, सब तन गया। दूर तक चलकर न जाने कहाँ मन गया।। ऊपर आसमा नीचे धरती बीच खड़े रह गए, देखते-देखते सामने अचानक सब जम गया।। ये जद्दोजहद क्यों खींचातानी होती रहती, भागादौड़ी आपाधापी में, सब जन गया।।