जब जीवन के समुद्र में डूबता हूँ, मन की आवेगों से परे उठता हूँ। संन्यास की गहराइयों में खो जाता हूँ, संवेदनशीलता से दूर निकल जाता हूँ। सम्पूर्णता की तलाश में निकल पड़ता हूँ, आत्मा की आवाज़ को सुनता हूँ। संयम के पथ पर चलता हूँ मैं, अहंकार की बाधाओं से मुक्त होता हूँ। माया के भंवर में नहीं फंसता हूँ, चिंताओं की बारिश में नहीं भिगता हूँ। भगवान के प्यार को पाता हूँ, मन की शांति में समाता हूँ। वैराग्य की आग में जलता हूँ मैं, भगवान के प्रेम में लीन होता हूँ। आसक्ति के बंधनों से मुक्त होता हूँ, विरक्ति के साथ मैं जीना सीखता हूँ। जीवन के संघर्षों से परे जाता हूँ, प्रेम की महिमा को समझता हूँ। भगवान की आराधना में खो जाता हूँ तब जाकर मैं सन्यासी कहलाता हूँ ! ©Ramjeet Sharma #sanyasi