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है बाग को खतरा अब अपने ही तितलियों से पैर परेशान ह

है बाग को खतरा अब अपने ही तितलियों से
पैर परेशान है अपनी ही जूतियो से।
कुछ फूल अपने ही बाग से बगावत चाहते हैं
कुछ हवा भी फूलों को तोड़ने की इजाजत चाहते हैं।
 हैं इजाजत नदियों को बेरोक बहने की
मगर हमको भी नहीं आदत नमक हलाली सहने की।
और होते हैं बहुत रंग माना कि हर गुलशन में
जैसे होती है रंगो खुशबू युवती के यौवन में में।
हर गुल को छूट है अपना रंग छोड़ने की
मगर पत्ते कोशिश न करें हवाओं का रुख मोड़ने की।
मगर आदमी वही अच्छी है जो अपने मां बाप का कहना माने
और फूल वही वफादार जो गुलशन को ही अपना जहां माने।
जिस बागवान ने तुमको यहां पाला पोषा
तुमको शर्म ना आई तुमने उसी के जख्मों को नोचा।
भले ही होती हैं मोहब्बत गुलों से सबको
मगर वफा भी मिलती है मुश्किलों से सबको। #yourquote
#vansh 
#reply_to_rahat_indori
है बाग को खतरा अब अपने ही तितलियों से
पैर परेशान है अपनी ही जूतियो से।
कुछ फूल अपने ही बाग से बगावत चाहते हैं
कुछ हवा भी फूलों को तोड़ने की इजाजत चाहते हैं।
 हैं इजाजत नदियों को बेरोक बहने की
मगर हमको भी नहीं आदत नमक हलाली सहने की।
और होते हैं बहुत रंग माना कि हर गुलशन में
जैसे होती है रंगो खुशबू युवती के यौवन में में।
हर गुल को छूट है अपना रंग छोड़ने की
मगर पत्ते कोशिश न करें हवाओं का रुख मोड़ने की।
मगर आदमी वही अच्छी है जो अपने मां बाप का कहना माने
और फूल वही वफादार जो गुलशन को ही अपना जहां माने।
जिस बागवान ने तुमको यहां पाला पोषा
तुमको शर्म ना आई तुमने उसी के जख्मों को नोचा।
भले ही होती हैं मोहब्बत गुलों से सबको
मगर वफा भी मिलती है मुश्किलों से सबको। #yourquote
#vansh 
#reply_to_rahat_indori