र टेम करड़ा चाल था माड़े हम तो कोन्या थे सब छोड़ गे साथ,जाणु मेरा जी लिकड़ा था। किमे ना मांगा थारे तह, आगे-पाछे , मेरे साथ तोह खड़े रहन्दे।। थाम तो दोगले बन के अकेला छोड़ गे, माड़ा टेम के रोज रहना था। ज़मीदार का बालक सू, दिल साफ राखू सु कोई खरीद न सके,ऐसा जमीर राखू सू। कम खालेंगे, पर थारे जिसा तह कुछ न मांगू, मेरे आछे टेम में कदे आजियों, थमने ना नाटू।जिसा भी होगा दिल खोल बांटू। थम किसे ने बुरे टेम मह छोड़ दो,यो थारा कर्म से म किस्से का बुरा ना करू। यो मेरे सँस्कारा का फल से। अच्छा माड़ा टेम तो आंदया जांदा रया कर बस अपने साथ देंन आले बने रहो। ना तोह दुनिया मे,मतलबी लोग घने ही क्वाया कर आपा तो अपने काम तह मतलब राख्या सा, रोटी गेल गेल तो कुत्ते जाया कर। आज जमा ए खोटा सीखा सु 1000 का नोट बनना ह जिस जिस तह उदार ह सबका ब्याज भरना ह जिद तो खुद तह ही ह Naresh panghal यो माड़ा टेम सदा थोड़ी रहना है माड़ा टेम के सदा ही रहना ह। guys follow nd share. follow insta. acc. naresh de alfaz