जाए लाख रहे साख इज्ज़त ही सब कुछ वरना सब कुछ ख़ाक होकर राख स्वाभिमान से बड़ा कुछ नहीं इसी की करते हम परवाह ना आने देते कभी आँच — % & ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_416 👉 जाए लाख रहे साख लोकोक्ति का अर्थ - इज़्ज़त रहनी चाहिए व्यय कुछ भी हो जाए। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ लिखने के बाद यहाँ Done काॅमेंट करें।