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#कई_दफ़ा नम होती आंखे, जब भी माँ आती है याद.! झिड़क

#कई_दफ़ा नम होती आंखे,
जब भी माँ आती है याद.!
झिड़क भी उसकी अच्छी लगती,
मारे भी तो लगता प्यार.!
बचपन की हर बात निराली,
बचपन कितना प्यारा था.!
माँ के साथ चला गया बचपन,
जैसे हो गए बड़े हम आज.!
ममता में कोई स्वार्थ नही था,
निश्छल निर्मल प्रेम था उसका.!
माँ जैसा नही मिलता कोई,
जिसमे कोई स्वार्थ न हो.!
#अजय57 माँ
#कई_दफ़ा नम होती आंखे,
जब भी माँ आती है याद.!
झिड़क भी उसकी अच्छी लगती,
मारे भी तो लगता प्यार.!
बचपन की हर बात निराली,
बचपन कितना प्यारा था.!
माँ के साथ चला गया बचपन,
जैसे हो गए बड़े हम आज.!
ममता में कोई स्वार्थ नही था,
निश्छल निर्मल प्रेम था उसका.!
माँ जैसा नही मिलता कोई,
जिसमे कोई स्वार्थ न हो.!
#अजय57 माँ
ajaykeshari572073

Ajay Keshari

New Creator