जिंदा लोगों की बस्ती में,मुझे कठपुतली सारे लगते हैं, चेहरे पर परते कई सारी लिए,मुझे नकली से सारे लगते हैं, मतलब से यारी है सबकी,मुझे सब मतलबी से लगते हैं, लब पे हंसी,दिल में कालिख,मुझे सब अजनबी से लगते हैं , बातों में शहद,जहर है दिल में, मुझे झूठे कहीं के लगते हैं, हस्ती मे इक बनावट सी लिए,मुझे बनावटी से लगते है अक्श है आईने में जुदा सबके,मुझको थोड़े फरेबी लगते हैं, साथ देते हैं झूठ का ऐसे,झूठ के सब करीबी लगते हैं, नचाते हैं शरीफों को यूं कदमों पे,मुझे सारे मदारी लगते हैं, कत्ल करते हैं अपने लफ़्ज़ों से,बड़े पक्के शिकारी लगते हैं!!! -नीलम भोला #height