ऐ यार बस इस महोब्बत का तिलस्म नही चाहता ! हर सुरत इस पर कदम नही चाहत! वस्ल पर फिर गुनाह की वो कलम नही चाहता! नज्मो मे अपने रंजो गम नही चाहता ! मै अभी ही तो दिनो का यार बना हू रातो का वो तन्हा सीतम नही चाहता ! कोई चिराग न जलाये मेरे भितर दोबारा वो आतिशे वहम नही चाहता! कनक तेलंग ©kt #WinterEve #हर सुरत