एक मन अवरुद्ध सा प्रेम से परिपूर्ण परिशुद्ध सा... कभी द्विपंक्तिय दोहे सा तो कभी 5 7 5 हाइकू सा, कभी बहोत विशेष सा तो कभी बस यूँ ही सा... "फकत" कुछ कहना चाहता हो, "फकत" ख़ामोश रहना चाहता हो… "अबोध मन" ये कभी दे जाए बोध बोधिवृक्ष सा, अबोध होना होता है अच्छा बोध होना दे जाता है दुःख सा… एक मन अवरुद्ध सा कभी ठहरा संजीदा सा कभी गूंजा किसी लतीफ़े सा एक मन अवरुद्ध सा… फ़क़त “फरीदा” जी जन्मदिन की बहोत बहोत बधाई...फरीदा जी के फरीदाबाद में बहोत सारे फार्महाउस हों जहाँ बहोत सारे फ्लावर हों...God Blss You... आपका एक गिफ्ट Spotify पर मेरे Podcast पर है और दूसरा लखनऊ चौक पर दीपक मिश्रा से मक्खन मलाई जब चाहे जितनी चाहे खा सकती हैं आप...पैसे उसे हम दे देंगे जब अबकी बार आएंगे लखनऊ, वैसे वो लेगा भी नहीं आपसे, एक ही नामराशि का कुछ फायदा मिलेगा ...हम कितने भाग्यशाली हैं न कि हमारा नाम मक्खन मलाई वाले के नाम पर है... #deepakkanoujia #modishtro #pradhunik #bodhitree #abodh #मन #अवरुद्धमन