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जिस तरह एक अंधे के लिए क्या अंधकार क्या उजाला उस

जिस तरह एक अंधे के लिए 
क्या अंधकार क्या उजाला 
उसके लिए उसके कान ही आंखे होती है 
उसकी सुनने की परवर्ती स्ट्रांग हो जाती हे...
!
ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। 
यह हम ही हैं 
जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है
 और रोते हुए कहा कि अंधेरा है।

©G0V!ND DHAkAD #strongness

#VivekanandThoughts 


यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता !
जिस तरह एक अंधे के लिए 
क्या अंधकार क्या उजाला 
उसके लिए उसके कान ही आंखे होती है 
उसकी सुनने की परवर्ती स्ट्रांग हो जाती हे...
!
ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। 
यह हम ही हैं 
जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है
 और रोते हुए कहा कि अंधेरा है।

©G0V!ND DHAkAD #strongness

#VivekanandThoughts 


यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता !