परि को भाषित करना ही जिंदगी की माया। परि आस को बिना और परि आश्रित पाया।। मैंने पूछा ज़िन्दगी क्या है ? किसी ने कहा नरक , किसी ने कहा जन्नत किसी ने कहा गम , किसी ने कहा मोहब्बत किसी ने कहा दुआ ,किसी ने कहा बददुआ किसी ने कहा मौका , किसी ने कहा धौखा