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मुसाफिर चलता है मुकाम तक, कोई पथ से लौट जाता है।

मुसाफिर चलता है मुकाम तक, कोई पथ से लौट जाता है।

हौसले डगमगा जाते है,जब बीच राह विकट मोड़ आता है।।

 समर्पण तो दीये में भरा होता है ,अपनी मंज़िल के लिए।

तभी तो अपना वजूद मिटाकर, रोशनी छोड़ जाता है।।

23/04/2020
हिमानी 😍 himt@nu
मुसाफिर चलता है मुकाम तक, कोई पथ से लौट जाता है।

हौसले डगमगा जाते है,जब बीच राह विकट मोड़ आता है।।

 समर्पण तो दीये में भरा होता है ,अपनी मंज़िल के लिए।

तभी तो अपना वजूद मिटाकर, रोशनी छोड़ जाता है।।

23/04/2020
हिमानी 😍 himt@nu