जीने को ज़िन्दगी है, रहने को इक मक़ां भी कहने को हर ख़ुशी है, देने को इम्तिहाँ भी अब जाने क्या तलाशता है दिल, सपनों के आसमाँ में आख़िर को हैं तनहा ही, इतने बड़े जहाँ में