राजनीति की हक़ीक़त यही, यही राज का व्यवहार है । जनता मालिक नाम की, लाठी की सरकार है ।। जब से बाबू विधायक बने उनके घर के सब सीना तान खड़े जो बारहवीं में चार बार फेल रहें वो पांचवीं बार सरकारी डाक्टर बने जिसको ना आता था जोड़ घटाना इंजीनियर वो बन गए ,हाथ जोड़े खड़े हैं जनता जमाना उनके घर का हल हम रहे आंखों देखे कुछ ना था जिनके घर में