उसकी यादों को दिल से मिटा डालने का ख़ुद को याद रखने का उसको भुला डालने का ये जरूरी तो नहीं हर बार वजह हो कोई कभी कभी बेवजह भी मुस्कुरा डालने का यहाँ वो तो नहीं रहती उसकी याद मग़र है दिल की बस्ती में अब आग लगा डालने का मैदान ए जंग में हो अग़र तो ये भी याद रहे ख़ुद बचना है तो दुश्मन को मिटा डालने का मुस्कुराना भी नहीं देखकर अमीर-ए-शहर को एक फ़कीर मिले तो ख़ुद को भी लुटा डालने का #यूँ_ही