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मेरे अज़ीज़ों की मुझ पर रहनुमाई है, मेरी कश्ती पत

मेरे अज़ीज़ों की मुझ पर रहनुमाई है,
 मेरी कश्ती पतवारों ने ही डुबाई है ।

हर मौसम ने आज़माया है मुझे,
 मेरी हर शाख सावन ने जलाई है ।

 क्यूं शिकवा करें तेरी बेवफ़ाई का 'प्रीत'
 ताउम्र दर्द ने वफ़ा निभाई है ।
 ‌ ‌  ‌          ‌  ‌       ‌             ‌ ‌ ‌@पीयू'प्रीत'

©pushpendra naruka #yaddein  'दर्द भरी शायरी'
मेरे अज़ीज़ों की मुझ पर रहनुमाई है,
 मेरी कश्ती पतवारों ने ही डुबाई है ।

हर मौसम ने आज़माया है मुझे,
 मेरी हर शाख सावन ने जलाई है ।

 क्यूं शिकवा करें तेरी बेवफ़ाई का 'प्रीत'
 ताउम्र दर्द ने वफ़ा निभाई है ।
 ‌ ‌  ‌          ‌  ‌       ‌             ‌ ‌ ‌@पीयू'प्रीत'

©pushpendra naruka #yaddein  'दर्द भरी शायरी'