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मोहब्बते इलाही कोई हम से न पूछिए, रागे ज़िन्दगी क

मोहब्बते इलाही कोई हम से न  पूछिए,
रागे ज़िन्दगी का, वो साज़ न पूछिए...
 
इबादत मे उसकी दिल भी झुकादिया है,
धड़क ते दिल की, वो धड़कन न पूछिए.
 
उस की याद मे वो शब भर का क़याम,
तहजुत मे मिली है,वो लज्ज़त न पूछिए .

उस के घर जैसा कोई घर ही नहीं है, 
महबूब के दर की, वो कैफियत न पूछिए.

 बसा हुआ है वो मनज़र अब भी दिल मे, 
हालत ए अहराम मे, वो लब्बेक न पूछिए.

दिल से निकली हुई हर दुआ क़ुबूल होती है,
मेरी ज़बान मेरा ,वो लहजा ए मक़बूल न पूछिए.

ख़ोफे इलाही से यूंही  ज़ारो क़तार रोना, 
हम से हमारी बीनाई का, वो राज़ न पूछिए...
(Hasan Hassas) #HasanHasssas shayari
मोहब्बते इलाही कोई हम से न  पूछिए,
रागे ज़िन्दगी का, वो साज़ न पूछिए...
 
इबादत मे उसकी दिल भी झुकादिया है,
धड़क ते दिल की, वो धड़कन न पूछिए.
 
उस की याद मे वो शब भर का क़याम,
तहजुत मे मिली है,वो लज्ज़त न पूछिए .

उस के घर जैसा कोई घर ही नहीं है, 
महबूब के दर की, वो कैफियत न पूछिए.

 बसा हुआ है वो मनज़र अब भी दिल मे, 
हालत ए अहराम मे, वो लब्बेक न पूछिए.

दिल से निकली हुई हर दुआ क़ुबूल होती है,
मेरी ज़बान मेरा ,वो लहजा ए मक़बूल न पूछिए.

ख़ोफे इलाही से यूंही  ज़ारो क़तार रोना, 
हम से हमारी बीनाई का, वो राज़ न पूछिए...
(Hasan Hassas) #HasanHasssas shayari
hasanhassas5973

Hasan Hassas

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