जिस महफ़िल में एक वक्त भीड़ हुआ करती थी आज उसी में मै अकेला बैठा हूं उन पहलुओं को शायरी में बया करता हूं अरे मुर्शद! हमने लोगों के मुंह पे क्या बोलना सीखा उन्होंने तो हमसे ही बैर बांधलिया। @saurav #suchai