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कह रहा है वो प्रतिपल, जो उसे दिन-रात सुनिए, बह र

कह रहा है वो प्रतिपल, 
जो उसे दिन-रात सुनिए, 
बह रही कश्ती जिसमें, 
वो जल आघात सुनिए, 
मन का मयूर जो नाचे, 
उसका उत्पात सुनिए, 
हुआ आयात संकट का, 
अब ढह निर्यात सुनिए।

— 'शायरा' Chahak Moryani

 42/365
सुप्रभात।
समझदार व्यक्ति समय की हर बात ग़ौर से सुनता है।

समय पर एक प्रेरक रचना लिखें। अपने प्रियजनों से साझा करें।

#समयकीबात #collab #yqdidi   #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
कह रहा है वो प्रतिपल, 
जो उसे दिन-रात सुनिए, 
बह रही कश्ती जिसमें, 
वो जल आघात सुनिए, 
मन का मयूर जो नाचे, 
उसका उत्पात सुनिए, 
हुआ आयात संकट का, 
अब ढह निर्यात सुनिए।

— 'शायरा' Chahak Moryani

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