तेरी रहमत जो हुई बेजान मकां में तेरे ही रहमों करमो से बरकत हुई,, मुफ़लिसी की जिंदगी में तेरी जो सोबत हुई जो उठे दुआ के लिए हाथ तो लफ्जों में,, अल्फ़ाज़ों की नूरानी आराईश हुई,, मुख्तलिफ हुए तेरे मन्नत के धागों में,, अल्लाह के नूर से जो इबादत हुई,, जर्रे जर्रे में गुलज़ार फिर इफ़्फ़त हुई, दस्ता ए शहरा में यह कहानी आफरीन आफरीन हुई,, फकीरा की अब ये इश्तियाक,, इल्तिज़ा की बारिश हो,,, "दुनिया की जो यह रवायतें है,, "दर बदर भटकने को मजबूर कर दे,, #दुआओंकीबारिश