इतिहास गवाह है क्यों एक ही बात लोगों को समझानी पड़ती हैं, सोए हुए पलको में भी ख्वाब सजानी पड़ती हैं, यहाँ किरदार सबका अलग अन्दाज का है, कोई शान्त अच्छा तो किसी को जलानी पड़ती है! वक्त का पहिया गुजर जाता है एक बार, सही वक्त पर लौट कर उसे भी आनी पड़ती है! साथ चलने का वादा तो सारे करते है, न जाने क्यों फ़िर भी छोड़ के जानी पड़ती हैं! हाथों में केवल लकीरे है और कुछ नहीं, फ़िर भी तकदीर को आजमानी पड़ती है! कौन हारना चाहता है यहां ज़िन्दगी में, मगर फ़िर भी ठोकर खानी पड़ती हैं! चलना है एक सफ़र में आखरी दम तक"सुमीत" किस्मत के हाथों में तो जान भी गवानी पड़ती हैं!! ©Saurav Das #जान #गवानी #पड़ती #हैं #WForWriters