जिंदगी की तेज रफ्तार में, कहीं रास्ते खो न जायें। वक्त की उस घड़ी में, कहीं सपने खो न जायें। मंजिल एक है, और रास्ते हजार । दिल भी एक है, और ख्वाहिशें बेशुमार । बड़ी ही शिद्दत है उस रास्ते पर, जहाँ कदम एक है, और काँटे चार । मंजिल तो आखिर मिलनी ही है, दर्द के इस पार, या फिर उस पार । हर पल एक डर सा रहता है । हर लम्हा कुछ न कुछ जरूर कहता है । कि, ख्वाहिशों के इस मंजर में, कहीं आँखे सो न जायें । चंद नोटों की खातिर, कहीं अपने खो न जायें। ©Deepu #khwaishen