अपने छोड़ पराये पर नज़र क्यूं है बेवफ़ा था फिर उसकी कदर क्यूं है जिसने अपनी कोख में पनाह दी है आज हाथ फैलाए सड़क पर क्यूं है अपनों से मिलो तो शौक से मिलो मुंह में मिसरी हाथों में ख़ंजर क्यूं है हवा ज़हर के संग साज़िश मे लगी है नहीं तो डरा सा थमा सा शजर क्यूं है आफ़ताब आग बरसाता साहिल पे हाथ पर हाथ धरे मौन समंदर क्यूं है ख़ला ने खुली छूट दी है उड़ने को फिर पर का परिंदा आज अपर क्यूं है ©Harlal Mahato #Darkness_Zamana #अंधकार#hopless #Nojoto #nojotoshayari #nojotohindi Antima Jain Priya Gour Asha...#anu indira indu singh कवि राहुल पाल Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"