उस समय दुनिया के लिए भोर था दुनिया के लिए चाँद फिर से चकोर था वो दो बजे उठा या चलो कुछ पहले या बाद में उठा उठ या कुछ और ही था उस छोटी सी मडई में जहाँ उसका पूरा संसार था कोने में दरी बिछाकर बच्चे के साथ उसकी अर्धांगनी या यूँ कहें कि इस दुःख में उसकी सहभागी टूटी सी खटिया पर वो खुद पड़ा था उस समय दुनिया के लिए उस समय भोर था कई कष्टों ने उसे घेर रखा था साहूकार की उधारी बैंक का लोन तो बच्चे को नयी ड्रेस और स्कूल भेजने का वादा इन सब जिम्मेदारियों से मजबूर था या परिवार का मुखिया होने का कसूर था दुनिया के लिए उस समय भोर था दुनिया के लिए चाँद फिर से चकोर था काफी देर तक पड़ा रहा कभी उठता तो कभी लेटता काफी जद्दोजहद में मशगूल था या सबके खुश चेहरे देखना उसका सुरूर था या ये परिवार का मुखिया होने का कसूर था कहने को समाज का अन्नदाता पर ईश्वर की कहर के मजबूर था उस समय दुनिया के लिए भोर था मन बना ही लिया उसने आखिरकार बीवी को जगाया तब तक सुबह हो गयी हाथों में सबके लिए दूध का गिलास जिसमें जहर था मिलाया क्या करे बेचारा ईश्वर के कहर के मजबूर था दूध सबको पिलाया खुद भी पीया आत्मसम्मान का गुरूर जो था वो एक किसान था ईश्वर की कहर के आगे मजबूर था उस समय दुनिया के लिए भोर था दुनिया के लिए चाँद फिर से चकोर था ।। #NojotoQuote किसान #SBSCNojoto