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" कुछ निशान अब भी बाकी ‌है , तेरे हसरतों की मक़ाम

" कुछ निशान अब भी बाकी ‌है ,
तेरे हसरतों की मक़ाम अब भी बाकी हैं ,
वेशक रुठा हूं छुटा हैं कुछ नाराज़ सा हूं तुझसे ,
अब भी दिल में तेरी दस्ता लबालब हैं ,
बना कोई फ़लसफ़ा फिर से तेरी दस्ता बेसबब्ब हैं ."

                                     --- रबिन्द्र राम
 " कुछ निशान अब भी बाकी ‌है ,
तेरे हसरतों की मक़ाम अब भी बाकी हैं ,
वेशक रुठा हूं छुटा हैं कुछ नाराज़ सा हूं तुझसे ,
अब भी दिल में तेरी दस्ता लबालब हैं ,
बना कोई फ़लसफ़ा फिर से तेरी दस्ता बेसबब्ब हैं ."

                                     --- रबिन्द्र राम
" कुछ निशान अब भी बाकी ‌है ,
तेरे हसरतों की मक़ाम अब भी बाकी हैं ,
वेशक रुठा हूं छुटा हैं कुछ नाराज़ सा हूं तुझसे ,
अब भी दिल में तेरी दस्ता लबालब हैं ,
बना कोई फ़लसफ़ा फिर से तेरी दस्ता बेसबब्ब हैं ."

                                     --- रबिन्द्र राम
 " कुछ निशान अब भी बाकी ‌है ,
तेरे हसरतों की मक़ाम अब भी बाकी हैं ,
वेशक रुठा हूं छुटा हैं कुछ नाराज़ सा हूं तुझसे ,
अब भी दिल में तेरी दस्ता लबालब हैं ,
बना कोई फ़लसफ़ा फिर से तेरी दस्ता बेसबब्ब हैं ."

                                     --- रबिन्द्र राम