पत्थर उनपर बरसाये तुमने, जो तुम्हे बचने आये थे उनसे कैसा धर्म निभाया तुमने जो धर्म निभाने आये थे खुदा के रहम को ठुकराकर जानते हो क्या चक गये बंदे भेजे उसने हिफाजत को तुम उन्ही पे थूक गये ये फरिश्ते तोह फिर आयेंगे, इनमे खुदाई जिन्दा है, पर तुम्हारे अमानवीय व्यव्हार से, आज इनसनियत शर्मिंदा हैं. ~दिनेश सोनी #मरकज #इंसानियत #जाहिल