तेरे बगैर (ग़ज़ल) तेरे जाने से जिंदगी का हर लम्हा रूठा हुआ लगता है, अब दिल का हरेक कोना टूटा-टूटा हुआ सा लगता है। तूने मेरा दिल तोड़ कर मुझे सरेआम रुसवा कर दिया है, अब जमाने में हर शक्स ही मुझे रुठा-रुठा सा लगता है। तेरी चाहतों से ही तो मैंने बसाई थी ख्वाबों की दुनिया, अब मुझको मेरा हर ख्वाब बिखरा-बिखरा सा लगता है। तू अपने साथ मेरी खुशियों का दामन भी छुड़ा ले गया, अब खुशियां नहीं हर तरफ गमों का समंदर सा लगता है। तेरे बगैर मेरी जिंदगी बेरंग बेनूर सी नजर आने लगी है, अब कुछ बाकी ना रहा दिल में सब खत्म सा लगता है। तेरे बगैर मुझे जिंदगी जीने की कभी आदत ही नहीं रही, तू चला गया लेकिन हर पल मेरे साथ है ऐसा लगता है। तेरे होने से हर सू दर-ओ-दीवार में रौनक नजर आती थी, तेरे चले जाने से यहाँ का जर्रा-जर्रा खामोश सा लगता है। 4/5 #तेरेबगैर #collabwithकोराकाग़ज़ #KKकविसम्मेलन3 #KKकविसम्मेलन #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़