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कल तक जो अपने थे ,आज वो ही अपने नहीं रहे गैरों की

कल तक जो अपने थे ,आज वो ही अपने नहीं रहे
गैरों की क्या बात करें
 "जनाब"
दोस्त ही सपने बनके रह गए हैं. #वक़्त_का_खेल
कल तक जो अपने थे ,आज वो ही अपने नहीं रहे
गैरों की क्या बात करें
 "जनाब"
दोस्त ही सपने बनके रह गए हैं. #वक़्त_का_खेल