ख़ाली थी ज़िन्दगी, तूने लफ्ज़ क्या लिखे सूखे गमलों में जैसे गुलाब हो खिले तेरी खुशबू ज़िन्दगी में कुछ यूँ घुल गयी पानी से भरे प्याले में जैसे शराब आ मिले. साँसों की आग सीने की जलन बेपनाह थी, निगाहों की गर्मियों में जैसे बर्फ आ मिले. ज़माने की गैरत का ना थम रहा था सिलसिला, तुम दरिया-से मेरे उफनते समुन्दर में जा मिले. सुकून की चाहत सबको होती है मुझे भी थी आँखों से निकला आंसू, बस हथेली पर आ गिरे. कितने सावन यूँ ही इंतज़ार में चले गए, बंद बाजार में मुश्किल से मैखाना खुले मिले. #yqbaba #yqdidi #YoPoWriMo #इंतज़ार #ज़िन्दगी #लफ्ज़ #शराब #आंसू #समुन्दर #निगाह #गुलाब #challange_completed Thanks for the nomination मिस्टर अलग