किसी को ग़ज़ल तुम बनाकर तो देखो मिलेगी ख़ुशी दिल लगाकर तो देखो तुम्हारा हुनर फिर ज़माना देखेगा ज़मीं से फलक को हिलाकर तो देखो भगत सिंह तुम्ही हो, हो अशफ़ाक़ तुम ही दिलों में शमा इक जलाकर तो देखो अभी भी तरसता है बस प्यार को वो पुराना शजर गांव जाकर तो देखो है मुमकिन कि मरकर भी जी जाऊं फिर मैं मेरी माँ का आँचल बिछाकर तो देखो हाँ भरती है सांसे ये मुर्दों की बस्ती ग़ज़ल की ज़मीं पे भी आकर तो देखो ये मक़्ता अधूरा है उस बिन फकीरा तो लो नाम सानी बिठाकर तो देखो #अशफ़ाक़ - अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ(freedom fighter) #सानी - second line of a couplet #मक़्ता - last couplet of a ghazal #fakeera #ghazalgo_fakeera #yqbaba #yqdidi #ghazal