वो खोए हुए अल्फ़ाज़ कहां से लाऊं वो पुरानी बात कहा से लाऊं खो गए जो जज़्बात कहां से लाऊं.. खो गया वो इंसान जो बसता था तुझमें, कहां से लाऊं तेरी मिल्कियत की हंसी कहां से लाऊं। ये ना कहना कि मेरी हंसी यहीं है.. अरे! किराए की हवेली में रजवाड़ी ठाठ कहां से लाऊं ये तेरी हंसी नहीं ये तो बस ज़माने लिए मुखौटा है। जो आंसू तूने मेरे सामने हैं बहाए, किसे दिखाऊं.. ये तेरा गम तो नहीं? शायद, वही है जो स्याही बन चल पड़ा है कागज़ पर.. वरना मेरे अंदर वो बात कहां से लाऊं.... एक पुरानी रचना.. पीले पड़ते पन्नों वाली डायरी से...#syahi #wiredwords #shabd #nishabd #ashay