हम किसी और की जोगन बन जाएं हमें मंजूर नहीं भुला के तुझको चाहूँ किसी को ये अपना दस्तूर नहीं ये प्रीति अपनी पावन है इसमें कोई भी दोष नहीं मन भावन मूरत है जिसे देख मुझे कोई होश नहीं नभ देखूँ शशि में देखूँ तुझसा दिखता कोई और नहीं टूट जाए तुझसे प्रीत का बंधन कोई नाज़ुक डोर नहीं निहित तुझमें मेरे मुख की मुस्कान और कोई चाह नहीं तम सा लगे तुम बिन वो पथ जिधर तेरी राह नहीं बावली वो जोगन तुम बिन उसे कहीं और चैन नहीं प्रीति में तेरी उन्मद बीते कहीं उसके दिन - रैन नहीं #मेरेएहसास #मेरेनज़्म #मेरेअल्फ़ाज़ #yqpoetry #yqdiary #yqdidiquotes #yqdidi #yqghazal