बचपन की एक याद एक था वो भी ज़माना, महीना भर इक,एक पैसा बचा, इक्कठा करते थे चार आना। (मतलब25पैसे) फिर किसी इतवार की शाम किया जाता दावत का इंतज़ाम, सब दोस्त मिलते, सजधज के,